बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ को लेकर शुभेंदु अधिकारी का बड़ा दावा, फर्जी वोटरों को हटाने की माँग तेज़

Ujjwal Dey

By Ujjwal Dey

Updated on: जुलाई 30, 2025

बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ पर शुभेंदु का वार, 17 लाख फर्जी वोटरों को हटाने की माँग

“बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ” को लेकर फिर गरमाई सियासत! शुभेंदु अधिकारी का बड़ा दावा— चुनाव से पहले अवैध घुसपैठियों को मिल रहा है नागरिकता का दर्जा? विशेष पुनरीक्षण की माँग से बंगाल की राजनीति में हलचल।

बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ पर शुभेंदु का वार, 17 लाख फर्जी वोटरों को हटाने की माँग
बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ पर शुभेंदु का वार, 17 लाख फर्जी वोटरों को हटाने की माँग

Bengal Job Study: “बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ” को लेकर एक बार फिर से सियासत गरमा गई है। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने सीधे ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा है और राज्य में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ एसआईआर (Special Intensive Revision) की माँग की है। उनका आरोप है कि राज्य सरकार घुसपैठियों को फर्जी दस्तावेज देकर मतदाता बना रही है ताकि वोट बैंक तैयार किया जा सके। यह मुद्दा विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल को और भी गर्म कर रहा है।

बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ पर शुभेंदु अधिकारी का बड़ा आरोप

भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ की समस्या अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि बॉर्डर वाले जिलों में अचानक मतदाता पंजीकरण में तेज़ी आई है, जो इस बात का संकेत है कि अवैध घुसपैठियों को नागरिक बनाने की कोशिश हो रही है।

एसआईआर की माँग और 17 लाख फर्जी नामों का दावा

शुभेंदु अधिकारी ने निर्वाचन आयोग से अपील की है कि बंगाल में एसआईआर करवाई जाए ताकि रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के लगभग 17 लाख फर्जी नामों को मतदाता सूची से हटाया जा सके। उनका कहना है कि यह सब तृणमूल कांग्रेस के राजनीतिक फायदे के लिए हो रहा है।

संवेदनशील जिलों में अचानक मतदाता पंजीकरण क्यों?

राज्य के जिन जिलों में मतदाता संख्या में असमान्य वृद्धि देखी गई है, उनमें शामिल हैं:

  1. कूचबिहार
  2. अलीपुरद्वार
  3. जलपाईगुड़ी
  4. मालदा
  5. उत्तर दिनाजपुर
  6. मुर्शिदाबाद
  7. नदिया
  8. उत्तर और दक्षिण 24 परगना

इन जिलों में फॉर्म-6 के माध्यम से हर सप्ताह औसतन 70,000 से अधिक आवेदन सामने आ रहे हैं, जबकि सामान्यतः यह संख्या 20,000 से 25,000 के बीच रहती है।

ममता सरकार पर शुभेंदु अधिकारी के आरोप

शुभेंदु अधिकारी का कहना है कि ममता बनर्जी की सरकार जानबूझकर राज्य के संसाधनों का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने कई जिलों के अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वे बड़ी संख्या में स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी करें ताकि अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को वैधता दी जा सके।

अवैध घुसपैठियों को वैध बनाने की रणनीति?

बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ को वैधता देने की प्रक्रिया को भाजपा नेता एक “अवैध रणनीति” बता रहे हैं। उनका मानना है कि यह सब कुछ मतदाता सूची में हेरफेर कर चुनावी परिणामों को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है।

शुभेंदु ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखा

26 जुलाई को शुभेंदु अधिकारी ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर मांग की है कि 25 जुलाई या उसके बाद जारी किए गए स्थायी निवास प्रमाण पत्रों को एसआईआर के लिए अवैध माना जाए।

नारी सुरक्षा यात्रा और विरोध मार्च

भाजपा नेता ने उत्तर 24 परगना में “नारी सुरक्षा यात्रा” में भाग लेते हुए कहा कि ममता शासन में महिलाओं पर अत्याचार बढ़ा है। 9 अगस्त को पार्टी राज्य सचिवालय तक मार्च निकालेगी, जो एक महिला डॉक्टर के साथ हुए अपराध के खिलाफ न्याय की मांग को लेकर किया जाएगा।

संबंधित टेबल: प्रभावित जिले और आवेदन संख्या

जिलाऔसत फॉर्म-6 आवेदन प्रति सप्ताह
कूचबिहार70,000+
अलीपुरद्वार65,000+
जलपाईगुड़ी60,000+
मालदा68,000+
मुर्शिदाबाद72,000+
नदिया66,000+
उत्तर 24 परगना75,000+
दक्षिण 24 परगना74,000+

क्यों ज़रूरी है एसआईआर?

  1. मतदाता सूची की शुद्धता बनी रहे
  2. फर्जी मतदाता हटें
  3. लोकतंत्र में पारदर्शिता आए
  4. अवैध घुसपैठियों का राजनीतिक उपयोग रोका जा सके

निष्कर्ष: बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ बना बड़ा चुनावी मुद्दा

बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ अब सिर्फ एक सीमा सुरक्षा का मसला नहीं रह गया, यह राज्य की राजनीतिक दिशा तय करने वाला मुद्दा बन चुका है। शुभेंदु अधिकारी की आवाज़ ने इस मुद्दे को केंद्र में ला दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि निर्वाचन आयोग इस पर क्या कदम उठाता है और ममता सरकार की रणनीति क्या होती है।

बंगाल में अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या पर राजनीतिक संग्राम

पश्चिम बंगाल में लगातार बढ़ती अवैध घुसपैठ ने राज्य की राजनीति को गर्म कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये घुसपैठिए न सिर्फ जनसंख्या का संतुलन बिगाड़ रहे हैं, बल्कि मतदान प्रक्रिया को भी प्रभावित कर रहे हैं। विभिन्न जिलों में नागरिकता जैसे अधिकार गैरकानूनी तरीके से दिए जाने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।

फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए वोटर बन रहे विदेशी नागरिक

बंगाल में विदेशी नागरिकों को फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से मतदाता सूची में शामिल किया जा रहा है, जिससे चुनाव की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। यह प्रक्रिया राज्य सरकार के संरक्षण में हो रही है, ऐसा आरोप भाजपा नेताओं का है।

सीमावर्ती जिलों में बढ़ रही है घुसपैठ की घटनाएं

उत्तर 24 परगना, मुर्शिदाबाद, नादिया जैसे सीमावर्ती जिलों में अवैध प्रवासियों की मौजूदगी तेजी से बढ़ रही है। ये इलाके देश की सीमा से सटे होने के कारण सबसे अधिक प्रभावित हैं। स्थानीय निवासियों के अनुसार, रोज़ाना नए लोग बसने आ रहे हैं जिनके पास वैध कागज़ात नहीं हैं।

मतदाता सूची की शुद्धता पर उठ रहे सवाल

राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों का कहना है कि यदि समय रहते विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) जैसी प्रक्रिया नहीं की गई, तो अगला चुनाव निष्पक्ष नहीं होगा। मतदाता सूची से नकली नामों को हटाने की माँग अब पूरे राज्य में जोर पकड़ रही है।

घुसपैठ पर नियंत्रण के लिए केंद्र और चुनाव आयोग से अपील

बंगाल में घुसपैठ की इस गंभीर स्थिति को देखते हुए अब भाजपा समेत कई संगठन केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द हस्तक्षेप किया जाए। अगर अवैध प्रवासियों पर लगाम नहीं लगाया गया, तो आने वाले वर्षों में यह एक राष्ट्रीय संकट बन सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ क्या है?

बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ उस स्थिति को दर्शाता है जब म्यांमार और बांग्लादेश से रोहिंग्या मुस्लिम या अन्य अवैध प्रवासी पश्चिम बंगाल में घुसपैठ करते हैं और यहां बसने की कोशिश करते हैं। यह प्रक्रिया अक्सर फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए होती है जिससे उन्हें नागरिकता जैसी सुविधाएं मिल जाती हैं।

क्या रोहिंग्या घुसपैठ राज्य की सुरक्षा के लिए ख़तरा है?

हाँ, विशेषज्ञों का मानना है कि बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ राज्य की आंतरिक सुरक्षा, संसाधनों पर दबाव और सामाजिक संतुलन पर प्रभाव डाल सकता है। इसके अलावा, मतदाता सूची में फर्जी नामों की मौजूदगी लोकतंत्र की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाती है।

शुभेंदु अधिकारी एसआईआर की माँग क्यों कर रहे हैं?

शुभेंदु अधिकारी का दावा है कि राज्य में लाखों फर्जी मतदाता जोड़े गए हैं जो अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम पर हैं। बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ को रोकने और वास्तविक नागरिकों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए वह विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की माँग कर रहे हैं।

क्या मतदाता सूची में घुसपैठियों के नाम शामिल हैं?

शुभेंदु अधिकारी का आरोप है कि राज्य सरकार अवैध प्रवासियों को फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र दे रही है, जिससे वे मतदाता सूची में शामिल हो सकें। उन्होंने यह भी बताया कि सीमावर्ती जिलों में फॉर्म-6 की संख्या में असमान्य वृद्धि इसी ओर इशारा करती है।

एसआईआर प्रक्रिया क्या है और यह कैसे मदद करेगी?

एसआईआर या Special Intensive Revision निर्वाचन आयोग की एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मतदाता सूची को गहराई से जांचा जाता है। यह प्रक्रिया बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठ जैसे मामलों में फर्जी मतदाताओं की पहचान कर उन्हें सूची से हटाने में मदद करती है।

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